Motivational story in hindi एसडीम LADY की कहानी।

 Motivational Story in Hindi दोस्तो हम आपके साथ शेयर कर रहे है।
             
    एक एसडीम LADY की कहानी

                ''प्रेरणादयाक कहानी जरूर पढ़ें''
आज स्कूल में शहर की लेडी SDM आने वाली थी क्लास की सारी लड़कियां खुशी Ke मारे फूले नहीं समा रही थी सबकी बातों में सिर्फ एक ही बात थी SDM और हो भी क्यों ना आखिर वह Bhi एक लड़की थी पर एक और जब सब लड़कियां व्यस्त थी SDM की चर्चाओं में एक लड़की सीट की लास्ट बेंच पर बैठी पेन Or उसके कैप से खेल रही थी उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था कौन आ रहा है और क्यों आ रहा है।

वह अपने में मस्त थी वह लड़की थी आरुषि आरुषि पास के ही 1 गांव के एक किसान की एकलौटी बेटी थी। स्कूल और उसके घर Ka फासला लगभग 10 किलोमीटर का था जिसे वह साइकिल Se तय करती थी स्कूल में बाकी की सहेलियां उससे इसलिए ज्यादा Nahi जुड़कर रहती थी क्योंकि वह उनकी तरह रहीस Nahi थी लेकिन उसमें उसका क्या दोष था खैर उसकी जिंदगी सेट Kar दी गई थी।

इंटरमीडिएट Ke बाद उसे आगे नहीं पढ़ा सकते थे क्योंकि उसके पापा पैसा सिर्फ Ek जगह लगा सकते थे या शादी Me और या तो आगे की पढ़ाई में उसके परिवार Me कोई भी मैट्रिक से ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था बस यही रोड मैप उसके आंखों Ke सामने हमेशा घूमता रहता कि यह क्लास उसकी अंतिम क्लास है।                   
Motivational story in hindi एसडीम LADY की कहानी।
और इसके बाद उसकी शादी Kar दी जाएगी इसलिए वह आगे सपने Hi नहीं देखती थी Or इसलिए उस दिन SDM के आने का उस पर कोई फर्क Nahi पड़ा ठीक 12:00 बजे SDM उनके स्कूल में आई यही कोई 24, 25 साल की लड़की और नीली बत्ती की अंबेसडर गाड़ी और साथ में 4 पुलिसवाले 2 घंटे Ke कार्यक्रम के बाद SDM चली गई.

लेकिन आरुषि Ke दिल में बहुत बड़ी उम्मीद छोड़ Kar गई उसे अपनी जिंदगी से आब प्यार हो रहा था जैसे उसके सपने अब आजाद होना चाहते हो उस रात आरुषि सो नहीं पाई स्कूल में भी उसी उलझन में लगी रही क्या करूं वह Aab उड़ना चाहती थी.

फिर अचानक पापा की गरीबी उसके सपनों Or मंजिलों के बीच में आकर खड़ी Ho जाती वह घर वापस गई और रात खाने Ke वक्त सब मां और पापा Ko बता डाला पापा ने उसे गले Se लगा लिया उनके पास छोटी सी जमीन Ka एक टुकड़ा था।

कीमत यही ₹50000 की होगी आरुषि की शादी Ke लिए उसे डाल रखा था पापा Ne कहा कि मैं सिर्फ एक ही चीज पूरी Kar सकता हूं। तेरी शादी के लिए हो या तेरे सपने आरुषि अपने सपनों Par दाब खेलने को तैयार हो गई इंटरमीडिएट Ke बाद उसने b.a. में दाखिला लिया क्योंकि ग्रेजुएशन Me इसकी फीस सबसे सस्ती थी पैसे का इंतजाम पापा Ne किसी से मांग कर कर दिया Par यह उसकी मंजिल नहीं थी।

उसकी मंजिल Tho कहीं और थी उसने तैयारी शुरू की सबसे बड़ी समस्या आती किताबों की Tho उसके लिए नुक्कड़ की Ek पुरानी दुकान का सहारा लिया जहां पुरानी किताबें बेची या खरीदी Jati थी यह पुरानी किताबें उसे आधी कीमत में मिल Jati थी वह एक किताब खरीद Kar लाती और पढ़ने के बाद उसे बेच Kar दूसरी किताब कहते हैं। Na कि जब परिंदों के हौसलों Me शिद्दत होती है

तो आसमान Bhi अपना कद झुकाने लगता है और उसी की लगन Ko देखकर उस दुकान वाले अंकल ने उसे किताबें फ्री Me देनी शुरू की और कुछ किताबें तो खुद नई खरीद कर दे देते Or कहते की बिटिया जब बन जाना तो शुभ समय वापस Kar देना कुछ भी हो आरुषि इस यकीन Ko नहीं तोड़ना चाहती थी ग्रेजुएशन के 2 साल पूरे हो गए Or उसकी तैयारी लगातार चलती रही सब ठीक चल रहा था कि अचानक उसके मां की तबीयत खराब हो गई इलाज के लिए पैसे की जरूरत थी लेकिन पहले से कि घर कर्ज में डूब चुका था अंत में पापा ने जमीन गिरवी रख दी और इसी बीच उसने ग्रेजुएशन के तीसरे वर्ष में दाखिला लिया समस्या दामन नहीं छोड़ रही थी

आरुषि कब तक अपने हौसलों को मजबूत बनाने की कोशिश करते आखिरकार 1 दिन मां से लिपट कर वह बहुत रोई और एक ही बात पूछी मां हमारे कभी अच्छे दिन नहीं आएंगे मां ने उसे सहज दिया और फिर से उसने कोशिश की कहते हैं ना कि योद्धा कभी पराजित नहीं होते या तो विजई होते हैं और या तो वीरगति को प्राप्त होते हैं 23 जून यह वही दिन था जब आरुषि ने प्रारंभिक परीक्षा पास की थी

अब बारी मुख्य परीक्षा की थी और आरुषि के हौसले अब सातवें आसमान को छू रहे थे 3 वर्ष की लगातार कठिन परिश्रम का फल था कि आरुषि ने मुख्य परीक्षा भी पास कर ली अब वह अपने सपनों से सिर्फ एक कदम दूर खड़ी थी पीछे मुड़कर देखती तो उसे सिर्फ 3 लोग ही नजर आते मां पापा और दुकान वाले अंकल आखिरकार इंटरव्यू हुआ और अंतिम परिणाम में आरुषि ने सफलता हासिल की आरुषि को जैसे यकीन नहीं हो रहा था कि हां यह वही आरुषि है मां पापा तो अपने आंसुओं के सैलाब को रोक नहीं पा रहे थे

और उसी अपने घर से तेजी से निकल गई उन्हीं आंसू के साथ आखिर किसी और को भी तो उसे धन्यवाद देना था सीधे जाकर दुकान वाले अंकल के पास रुकी अंकल ने उसे गले से लगा लिया और खुद भी छलक गए हसल मैं यह जीत सिर्फ आरुषि की जीत नहीं थी इस जीत में शामिल थी मां की ममता पिता के हौसले और दुकान वाले अंकल का यकीन''।
                                                 धन्यवाद
                                                         जय हिन्द
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Motivational story in hindi एसडीम LADY की कहानी। Motivational story in hindi एसडीम LADY की कहानी। Reviewed by Indrajeet Saini on September 20, 2018 Rating: 5

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